B.A. /B.Sc. (General) 4th Semester
Shastri
Paper-VII &VIII
Time allowed: 3 Hours] [Max. Marks: 50
1. क) निम्न में से किसी एक की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।
I. जीवन जिसकी इच्छा पर है, उसकी ही इच्छा पर मृत्यु
छोड़ जाएगी स्वयं तुझे भी ,क्या तेरी भिक्षा पर मृत्यु ?
II. वर दे,वीणावादिनी वर दे
प्रिय स्वतंत्र -रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे।
ख) निम्न में से किसी एक कवि का परिचय दीजिए:
जयशंकर प्रसाद , सुमित्रानंदन पंत
ग) किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए:
I. जूही की कली कविता का सार लिखिए।
II. कामायनी के श्रद्धा सर्ग की मूल संवेदना का परिचय दीजिए।
2. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
I. भारतेंदु युग की कविता की मुख्य प्रवृतियों का परिचय दीजिए।
II. छायावाद का स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह क्यों कहा जाता है?
III. प्रयोगवादी कविता के मुख्य कवियों का परिचय दीजिए।
IV. प्रगतिवादी कविता की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिए।
3. किन्हीं दस प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
I. सिपाही कविता किसने लिखी है।
II. कामायनी के कितने खंड हैं।
III. भारत दुर्दशा किसकी रचना है।
IV. माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा संपादित किसी पत्रिका का नाम लिखिए।
V. कवि वचन सुधा के संपादक कौन थे?
VI. राम की शक्ति पूजा किसकी कविता है।
VII. तार सप्तक के संपादक कौन थे?
VIII. प्रगतिवादी कविता पर किस विचारक का प्रभाव माना जाता है।
IX महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किस पत्रिका का संपादन किया
X. सुमित्रानंदन पंत के किसी काव्य संग्रह का नाम लिखिए
XI. महादेवी वर्मा के किसी काव्य संग्रह का नाम लिखिए
XII. जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ
XII. रामधारी सिंह दिनकर के किसी काव्य संग्रह का नाम लिखिए
XIV. अंधेरे में कविता किसकी है
4. किन्हीं पाँच का अर्थ बताइए:
May be approved, needful done, may please see, on probation, official document, on ground of, question does not arise, sanctioned as proposed, matter is under consideration, keep, pending.
5. निम्न गद्यांश का सार लिखिए:
प्रश्न चल रहा है साहित्य का उद्देश्य वर्तमान समाज में क्या है? आज साहित्य प्रेमचंद युग है साहित्य की तरह "आदर्श' की अभिव्यक्ति नहीं करता, कारण कि "आदर्श ही बहुत समय समय र लापता हो गए हैं। ना "आदर्श जीवन बचा न आदर्श समाज, न आदर्श मनुष्य और न ही आदर स्थिती, क्योंकि "आदर्श" कि परिभाषा और परिभाषा को चरितार्थ करने कि प्रक्रिया, जीवन वे संश्लिष्ट यथार्थ में गड़बड़ हो गई है। चाह कर भी कवि कहानीकार, उपन्यासकार, संवेदनशील लेखक इस भुलभुलैया से जीवन का उत्तर नहीं खोज पा रहा है। ऐसे में साहित्य और साहित्यकार बहुत ईमानदारी से, संजीदगी के साथ (अपनी समझ से) इन अनुत्तरित प्रश्नों को पाठकों के सामने रख कर अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है।
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