B.A./B.Sc. (General) 2nd Semester
Sanskrit (Elective)
Paper: Katha, Niti Avem Vyakran
Time Allowed: Three Hours] [Maximum Marks: 90
नोट :- (1) सुन्दर, संक्षिप्त एवं सारगर्भित लिखें।
(2) उत्तरपुस्तिका में प्रश्न संख्या अवश्य लिखें।
(3) प्रश्नों को क्रमश: हल करने का प्रयत्न करें।
1. निम्न गद्यांशों में से एक का सप्रसंग अनुवाद करें :
(क) एतस्मिन्समये तस्मिन् पत्राने कश्चिद् वणिकपुत्रो मृतः । तस्य दाहाय महाजनो गतोऽभूतं । ततश्चतुर्णां मध्यादेकेन पुस्तकमवलोकितं, “महाजनो येन गतः स पन्थाः" इति। "तन्महाजनमार्गेण गच्छामः।"
(ख) तदहमन्यं जलाशयमद्यैव सभार्यों यास्यामि। एवमुक्त्वा स मण्डूको रात्रावेवाऽन्यजलाशयं गतः। धीवरैरपि प्रभाते आगत्य, जघन्यमध्यमोत्तमजलचरा: मत्स्यकूर्ममण्डूक - कर्कटादयो गृहीताः । तावपि शतबुद्धिसहस्त्रबुद्धि सभाटै पलायमानौ चिरमात्मानं गति विशेषविज्ञानैः कुटिलाचारेण रक्षन्तौ जाले निपतितौ, व्यापादितौ च।
(ग) अथ तस्य रात्रौ क्षेत्राणि पर्यटतः, कदाचिच्छगालेन सह मैत्री संजाता। स च पीवरत्वाद् वृति भड्गं कृत्वा कर्कटिका-क्षेत्रे शृगालसहित: प्रविशति । एवं तौ यदृच्छया चिर्भटिका भक्षणं कृत्वा, प्रत्यहं प्रत्यूषे स्वस्व स्थानं व्रजतः।
2. निम्न श्लोकों में से दो की सप्रसंग व्याख्या करें :
(क) सुबुद्धयो विनश्यन्ति दुष्टदैवेन नाशिताः ।
स्वल्पधीरपि तस्मिस्तु कुले नन्दति सन्ततम्।।
(ख) सर्पाणां च खलानां च सर्वेषां दुष्टचेतसाम् ।
अभिप्राया न सिध्यन्ति तेनेदं वर्तते जगत्।।
(ग) यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा मित्रोक्तं न करोति यः।
स एव निधनं याति, यथा मन्थरकौलिकः ।।
(घ) राजा दानपरो नित्यमिह कीर्तिमवाप्य च।
तत्प्रभावात् पुनः स्वर्गे स्पर्धते त्रिदशैः सह।।
3. 'मूर्खपण्डित कथा' अथवा 'गीतपरायणरासभशृगालकथा' में से एक कथा का सार लिखें।
4. निम्न श्लोकों में से दो की सप्रसंग व्याख्या करें :
(क) प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः.
प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्या:।
विघ्न: पुन: पुनरपि प्रतिहन्यमाना:
प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति ।।
(ख) कुसुमस्तबकस्येव द्वयी वृत्तिर्मनस्विनः ।
महिन वा सर्वलोकस्य शीर्यत वन एव वा।।
(ग) तानिन्द्रियाण्यविकलानि तदेव नाम
सा बुद्धिरप्रतिहता वचनं तदेव। अर्थोष्मणा विरहित: पुरुष: क्षणेन
सोऽप्यन्य एव भवतीति विचित्रमेतत् ।।
(घ) आज्ञा कीर्तिः पालनं ब्राह्मणानां दानं भोगो मित्रसंरक्षणं च।
येषामेते षड्गुणा न प्रवृत्ताः कोऽर्थस्तेषां पार्थिवोपाश्रयेण।।
5. निम्नलिखित सूक्तियों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिये।
(i) अहह ! महतां नि:सीमाश्चरित्रविभूतयः।
(ii) सर्वे गुणा: काञ्चनमाश्रयन्ति ।
(iii) न खलु वयस्तेजसो हेतुः।
6. निम्न शब्दों में से दस शब्दों को संस्कृत में लिखें :
हिरन, कबूतर, बगला, बाज, हाथी, उल्लू, कोयल, बतख, चूहा, आँवला, कमल, चम्पा, पराग, लता, पीतल।
7. (क) निम्न अव्ययों में से पाँच अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग करें :
परश्वः, सद्य:, पुरतः, कथम्, बामतः, अद्यः, नीचैः, बहिः, अन्त: उच्चैः ।
(ख) निम्न संख्यावाची शब्दों में से पांच को संस्कृत भाषा में लिखें:
54,63,69,71,76, 80,82, 88,95, 100. 5x15
(ग) निम्न शब्दों में से दो शब्दों के संपूर्ण विभक्ति रूप लिखें : मातृ, गुरु, अस्मद् युष्मद् ।
(घ) सभी राशियों अथवा दस दिशाओं के नाम लिखिये।
(ङ) निम्न धातुओं में से दो धातुओं के निर्दिष्ट लकारों के रूप लिखें:
लिख (लोट), भू(लङ्ग), Vत्य (लुट्), स्मृ(लट्)।
8. निम्न वाक्यों में से पांच वाक्यों का संस्कृत भाषा में अनुवाद करें:
(क) हम दोनों पढ़ते हैं।
(ख) शिव को नमस्कार है।
(ग) शोर मत करो।
(घ) गुरु शिष्य पर क्रोध करता है।
(ङ) घर के दोनों ओर वृक्ष हैं।
(च) राम श्याम से अधिक बुद्धिमान है।
(छ) वृक्ष से पत्ते झड़ते हैं।
(ज) विद्या के बिना जीवन नहीं है।
(झ) तुम मैदान में खेलते हो।
(ज) गंगा हिमालय से निकलती है।
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